Saturday, May 18, 2013

विषमुक्त कृषि के तीन सरल सूत्र

स्वदेशी, स्वावलंबी एवं विषमुक्त कृषि के तीन सरल सूत्र

(१) गोबर एवं गोमूत्र से बनाया गया अद्भुत खाद 1 एकड़ जमीन के लिए
बनाने की विधि--------
१. 15 किलो गोबर, 15 लीटर गोमूत्र, 1 किलो गुड(सडा हुआ), 1 किलो दाल का आटा( मुग मुसुर राहेड चना किसी भी दाल का चुरा), पुराने पेड़ की मिटटी १ किलो क्रम से एक साथ किसी बड़े जगह में मिलायें......
२. 15 दिन तक प्रतिदिन सुबह शाम डंडे से बने घोल को हिलायें....
३. 16 वे दिन से प्राप्त घोल का प्रयोग खाद के रूप में किया जा सकता है....
४. खेतों में इसका प्रयोग 21 दिन में एक बार पूरा करना आवश्यक है....

यह अत्यंत शक्तिशाली उपयोगी खाद है जिसके प्रयोग से खेतों में उत्पादन अच्छा होता है और खेत की मिटटी हमेसा अच्छी और उपजाऊ बनी रहती है भूमि को सभी आवश्यक तत्त्व गोबर गोमूत्र से बने खाद से स्वयं ही प्राप्त हो जाता है.........कीट एवं हानिकारक जंतु उत्पन्न नहीं होते, रासायनिक खादों के प्रयोग से कीट एवं जंतु अधिकांश मात्र में उत्पन्न होते हैं जो फसलों को नस्ट करते हैं.........

(२) जैविक कीटनाशक का निर्माण
बनाने की विधि---------
२० लीटर गोमूत्र , 3किलो नीम का पत्ता या निम्बोली, ३किलो धतुरा का पत्ता, ३किलो आकन्त का पत्ता, ३किलो बेल्पत्ता, ३ किलो सरीफा का पत्ता(सीताफल), ३ किलो आडू का पत्ता
१. २० लीटर गोमूत्र में सभी पत्तियों की चटनी बनाकर डाल दें
२. मूत्र को उबालना है, उबलते समय 500 -750gm तम्बाकू का पाउडर डाल दें
३. थोड़ी देर उबलने के बाद प्राप्त घोल को ठंडा कर लें.......और पात्रों में भर कर रख लें
प्राप्त घोल अत्यंत प्रभावकारी कीटनाशक है यह खेत में उत्पन्न होने वाले सभी हानिकारक कीटों एवं जन्तुओं को मारने में सक्षम है
प्रयोग----खेतों में प्रयोग से पूर्व 1 लीटर कीटनाशक में 20 लीटर जल मिला लें उसके बाद ही प्रयोग करें
२-३ दिनों में ही १००% सभी हानिकारक कीट एवं जन्तुओं की मृत्यु हो जाती हैं फसल पर दुबारा कीट लगने की संभावनायें समाप्त हो जाती है........
(३) बीज संस्कार 1kg बीज के लिए
१. 1kg गोबर एवं गोमूत्र मिलायें
२. १०० ग्राम कलई चुना २-३ लीटर पानी में तैयार करें (शाम को पानी में डाल देने पर सुबह तक चुना तैयार हो जाता है)
३.प्राप्त चुना जल को गोबर एवं गोमूत्र में मिलायें
1kg गोबर+ 1kg गोमूत्र+ प्राप्त चुना जल
४. बीजों को अब इस घोल में डाल दें 6 -7 घंटे बाद निकालकर छांव में सुखा दीजिये
प्रयोग के बाद जो बीज हमें प्राप्त हुए हैं इनका प्रयोग करने से प्रमुख लाभ १. फसल उत्पादन अच्छा और अधिक होता है
२. कीट लगने की संभावनायें कम रहती हैं
३. भूमि उपजाऊ बनी रहती है

प्रयोगों के लिए आवश्यक दिशा निर्देश--------१. गाय बैल या भेंस के मल एवं मुत्रों का उपयोग तीनो विधियों में किया जा सकता है किन्तु गाय के मल एवं मुत्रों का प्रयोग सर्वोत्तम होता है.........
२.प्रत्येक विधि 1 एकड़ जमीन और 1kg बीज के लिए बताई गयी है आवश्यकता अनुसार सामग्रियां दुगनी कर लीजिये

विषमुक्त जैविक एवं स्वदेशी कृषि के लाभ
१. प्रकृति एवं पर्यावरण से संतुलन बनाकर अच्छा और अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है
२. उत्पन्न खाद्यान्न में उचित मात्र में सभी पोषकतत्व उपलब्ध होते हैं स्वस्थ भोजन प्राप्त होता है
३.विषयुक्त भोजन एवं उनसे होने वाले असाध्य बीमारियों एवं रोगों से मुक्ति मिलती है
४. शरीर की प्रतिरोधी क्षमता का विकास होता है हम स्वस्थ और रोगों से मुक्त रहते हैं
५. कम खर्चे में अधिक लाभ कमाया जा सकता है स्वदेशी कृषि ही एक ऐसा स्वावलंबी कार्य है जिसमे 900% लाभ कमाया जा सकता है यदि हम 10 रूपये खर्च करते हैं तो 100 रूपये कमा सकते हैं
६. हमारे पशुधन का संवर्धन होता है
७.रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों में होने वाला खर्चा बच सकता है
८. स्वस्थ सुखी समृद्ध एवं स्वावलंबी भारत का निर्माण संभव है.!

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